जिंदगी क्या है एक ख्वाइश अधूरी
जिंदगी क्या है एक ख्वाइश अधूरी ।
सेवा भारत टाइम्स ब्यूरो
जिंदगी की कुछ ख्वाइशें
होती हैँ बहुत ही जरुरी
कुछ हो जाती है सही
कुछ रह जाती हैँ अधूरी
यूँ तो जीते चले जाते है सभी
लापरवाह जिंदगी की दौड़ मे
आस नहीं पल भर की यहाँ
कब कहानी खत्म हो जाये
सभी बहाने खत्म कर दिए
समय नहीं मिलने का जिन्हे
कोरोना ने हर किसी की
तमन्ना कर दी है पूरी
कुछ ख्वाइशें निबटा ली थी
कुछ अभी भी रह गई अधूरी
बच्चों को पिता से पति को पत्नी से मिला दिया आज
प्रेम प्यार से कैसे जिया जाता
है ये सबको सीखा दिया
बीवियां करती ही क्या हैँ घर
मे सारे दिन
ये कहने वालो को भी
एक छोटे से कीटाणु ने अच्छे से समझा दिया
पहले एक गज आज से
दो गज की हो गई दुरी
तीन कुंतल लकड़ी या
2 गज जमीन चाहिये
हर एक को
बस इतने से ही मे हो जाएगी जिंदगी पूरी
मौत उसकी जिसका करें जमाना अफ़सोस
यूँ तो सभी आए हैँ दुनिया मे
मरने के लिए
लेखक हैं श्री रमन भटनागर