उत्तराखंड में पहली बार आयोजित हुआ साहित्य सम्मेलन

उत्तराखंड में पहली बार आयोजित हुआ साहित्य सम्मेलन


उत्तराखण्ड की परम्परागत लोक जीवन शैली ने साहित्यकारों, गीतकारों एवं कवियों को अपनी ओर आकर्षित किया हैः सतपाल महाराज


सेवा भारत टाइम्स ब्यूरो


देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड ने धर्म और दर्शन के साथ साथ लोक साहित्य, कला और संस्कृति से जुड़े हर पहलुओं पर सैकड़ों वर्षो से भारतीय संस्कृति को परिष्कृत किया है। उक्त बात आज यहां संस्कृति विभाग, उत्तराखंड द्वारा दो दिवसीय साहित्य सम्मेलन के समापन अवसर पर प्रदेश के संस्कृति मंत्री श्री सतपाल महाराज ने अपने सम्बोधन में कही। उत्तराखंड की भूमि पर संस्कृति विभाग द्वारा देहरादून, सर्वेचौक स्थित आई. आर. डी. टी. प्रेक्षागृह में पहली बार आयोजित साहित्य सम्मेलन के समापन अवसर पर बोलते हुए संस्कृति मंत्री श्री सतपाल महाराज ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि उत्तराखण्ड में पहली बार साहित्य सम्मेलन जैसा महत्वपूर्ण आयोजन किया गया है। श्री महाराज ने कहा कि उत्तराखण्ड की परम्परागत लोक जीवन शैली ने साहित्यकारों, गीतकारों एवं कवियों को अपनी ओर आकर्षित किया है। संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज कहा कि हमने 1000 ठोल वादकों के द्वारा नमोनाद कार्यक्रम भी आयोजित किया था। हमारा प्रयास है कि भविष्य में पुनः इसका आयोजन कर वर्ड रिकार्ड बनाया जाए।
कार्यक्रम के अंत में संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज ने पदमश्री लीलाधर जगूड़ी को पुष्प गुच्छ, सम्मान पत्र एवं सम्मान राशि देकर सम्मानित किया। इसके अतिरिक्त श्री योगम्बर सिंह बर्तवाल, श्री जुगल किशोर पेरशाली, श्री नरेन्द्र सिंह नेगी, श्री हीरासिंह राणा,  श्रीमती वीणापाणी जोशी, श्रीमती बसंती बिष्ट, श्री प्रीतम भरतवाण, श्रीमती कुसुम भट्ट, श्रीमती भारती पाण्डेय, श्री उत्तम दास, श्री टीकाराम शाह एंव श्री दीवान सिंह बजेली को भी सम्मानित किया गया। 
दो दिवसीय साहित्य सम्मेलन के समापन अवसर पर संस्कृति निदेशक सुश्री बीना भट्ट ने उपस्थित सभी सम्मानित साहित्यकारों, लोक कलाकारों एवं गीतकारों को धन्यवाद ज्ञापित किया।


निशीथ सकलानी
मीडिया प्रभारी,  श्री सतपाल महाराज, माननीय मंत्री पर्यटन, संस्कृति एवं सिंचाई, उत्तराखंड।


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